भोपाल । श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के आयोजन के लिए इस बार दो तिथि बताई जा रही है। शैव मत के अनुसार जन्माष्टमी छह सितंबर को मनेगी तो वहीं  वैष्णव मत के अनुसार सात सितंबर को मनेगी। सनातन धर्म में शैव तथा वैष्णव मत का प्रचलन है। जिस कारण जन्माष्टमी को लेकर हमेशा से दो मत रहे हैं। छह को सर्वार्थ सिद्धि योग में विशिष्ट पूजन विशेष फलदायी होगा। भाद्रपद मास के कृष्ण  पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है। इस बार छह सितंबर बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी युक्त मध्य रात्रि में विशेष मानी जाती है। बुधवार की मध्य रात्रि में साक्षी क्रम से रहेगा।  पंचांग की गणना के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर बुधवार का दिन एवं मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र का अनुम रहने से सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन चंद्रमा अपने उच्च अंश में वृषभ राशि के साथ रहेंगे। रोहिणी चंद्रमा की पत्नी है, चूंकि चंद्र उच्च में होकर केंद्र त्रिकोण को साधेंगे। इस दृष्टि से यह योग विशेष रूप से पूजन का फल देने वाला होगा। वहीं ग्रह गोचर में सूर्य अपनी राशि सिंह में गोचर करेंगे और शनि कुंभ राशि में वक्रीय रहेंगे।राजधानी के ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि छह सितंबर बुधवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाना शास्त्रागत रहेगा।