बिलासपुर । 1947 में सिंधी समाज भारत के उस भूभाग (अभी पाकिस्तान ) में अपनी कोठी ,ज़मीन ,जायदाद ,रसूख व रिश्तेदारो को छोड़ आया था, क्योंकि उस भूभाग में शासन करने वाले लोग सनातनी नहीं थे। गठरी में कुछ सामान और रुपये ले कर भारत आये थे,सिर्फ़ सनातन धर्म के कारण 7 और धर्म के साथ चलते- चलते अपने साहसिक पुरुषार्थ से धन संपदा और प्रतिष्ठा अर्जित कर ली।
हमारे पूर्वजों द्वारा 77 साल पहले लिये गये उस निर्णय को आज हम पूरा सही पा रहे है,क्योंकि उस भाग ( अब पाकिस्तान )  में जो हमारे भाईबंधु किसी लालच या मजबूरी वश वहाँ रह गये थे,उनकी दुर्दशा आज हम देख रहे है। हमारे पूर्वजों की सनातन धर्म पर इतनी आस्था थी, कि उन्होंने धर्म के लिये सब कुछ छोड़ दिया। तो क्या हम किसी लालच के कारण सनातन धर्म संस्कृति को सुरक्षित व संवर्धित करने वाली पार्टी भाजपा (कमल फूल ) को छोड़ देंगे ? बिलकुल नहीं ! क्योंकि हम देख चुके है कि धर्म बचा रहेगा तो कोठी ,ज़मीन-जायदाद ,रसूख़ सब फिर से वापस आ जाता है। हम अपने पूर्वजों के निर्णय पर गर्व करते है। उन्होंने सही राह चुनी थी। इसी तरह आने वाली पीढिय़ा हम पर गर्व करेगी क्योंकि हम लोगो ने भी सनातन धर्म का साथ नहीं छोड़ा।