भोपाल । वर्तमान में मध्यप्रदेश में खरीफ फसलों की बोवनी का काम जोरशोर से चल रहा है, लेकिन प्रदेश के आठ जिलों में कम बारिश का असर साफ दिखने लगा है। प्रदेश में अभी तक 124 लाख हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में तो अधिक है, पर इस वर्ष के लक्ष्य से 24 लाख हेक्टेयर कम है। इस बार 148 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रदेश में पिछले साल 149 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवनी हुई थी। वर्ष 2023 में 148.76 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा गया है। सोयाबीन की बोवनी का लक्ष्य इस बार साढ़े 52 लाख हेक्टेयर रखा गया है। इसके विरुद्ध किसान अभी तक 51.43 लाख हेक्टेयर में बोवनी कर चुके हैं। धान के लिए लक्ष्य साढ़े 34 लाख हेक्टेयर रखा गया है।अभी 20.84 लाख हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है, जो पिछले वर्ष इस अवधि में हुई बोवनी की तुलना में छह लाख हेक्टेयर अधिक है। तुअर की बोवनी तीन लाख 60 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। जबकि, चार लाख 66 हेक्टेयर में फसल लेने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ज्वार और बाजरा की बोवनी पिछले साल की तुलना में अधिक हुई है लेकिन लक्ष्य से अभी दूर है। कपास की बोवनी भी लक्ष्य के अनुरूप हो चुकी है। इस बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के आठ जिलों में अब तक हुई कम वर्षा का यह असर है। अशोकनगर, निवाड़ी, टीकमगढ़, दमोह, सतना, रीवा, सीधी और सिंगरौली में यदि इस माह वर्षा नहीं होती है तो सूखे जैसे हालात हो जाएंगे। यदि वर्षा हो गई तो फसलों की बोवनी बढ़ने से लक्ष्य हासिल हो जाएगा।