पाली । राजस्थान में जातीय पंचायतें अब जानलेवा होने लगी हैं। ऐसा ही एक मामला पाली जिले में सामने आया। यहां जातीय पंचायत के तुगलगी फरमान से आहत एक बुजुर्ग ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की, लेकिन चिकित्सकों ने उसे बचा लिया है। जातीय पंचायत ने उसके घरेलू मामले में तुगलगी फरमान जारी करते हुए उस पर 25 लाख रुपए का जुर्माना ठोक दिया। यही नहीं, जितनी देर पंचायत चली, उतनी देर उसे पंचों के जूतों के पास खड़ा रखा गया। 
जुर्माना भरने में असमर्थता जताने पर उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया गया। इससे आहत बुजुर्ग ने जहर खा लिया। बुजुर्ग का जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में इलाज चल रहा है। जानकारी के अनुसार मामला पाली जिले के सोजत उपखंड के बिलावास गांव का है। बताया जाता है कि पीड़ित मूलाराम की बेटी की करीब 13 वर्ष पूर्व शादी हुई थी। पति से अनबन के चलते वह पीहर में ही रहने लग गई। यह बात जातीय पंचों को खटक गई। इसको लेकर समाज की पंचायत हुई। मूलाराम की बेटी के भरण-पोषण के लिए उसके पति से साढ़े 12 लाख रुपए ले लिये गए।
ये रुपये पंचों ने पीड़िता को देने की बजाय अपने पास ही रख लिये। यह बात धीरे धीरे बढ़ती गई। मंगलवार को बिलावास गांव में प्रजापत समाज के 9 पट्टी के पंचों की पंचायती हुई। इसमें मूलाराम को बुलाया गया। जब तक पंचायत चली तब तक मूलाराम को पंचों के जूतों के पास खड़ा रहने का आदेश दिया गया। आखिर में उसे जुर्माने के तौर पर 25 लाख रुपए जमा कराने का हुकुम दिया गया। मूलाराम ने इतने रुपये जमा कराने में  असमर्थता जताई। इस पर जातीय पंच भड़क गये। उन्होंने पीड़ित का सामाजिक बहिष्कार कर उसका हुक्का पानी बंद करने का फरमान जारी कर दिया। इससे आहत होकर पीड़ित ने जहर खा लिया जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। बाद में पीड़ित को सोजत के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। गंभीर हालत देखते हुए डाक्टरों ने उसे वहां से जोधपुर रेफर कर दिया। 
मीडिया में खबरें प्रसारित होने के बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लिया है। आयोग ने पूरे मामले को लेकर पाली जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की है। फिलहाल इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। पुलिस इस बारे में कुछ भी बोलने से कतरा रही है।