फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों, मेरी नज़र में सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिन कारणों की वजह से जीवन में कोई समझौता कर, तो कोई हार मानकर बैठ जाता है और कोई उन्हीं को अपनी सफलता की वजह बना लेता है। जी हाँ दोस्तों, इस आधार पर सोचा जाए तो हमारी परेशानियाँ, हमारी समस्याएँ, हमारी परिस्थिति हमारी सफलता में बाधक नहीं होती बल्कि हमारी सोच, जीवन के प्रति हमारे दृष्टिकोण में बड़ा अंतर पैदा करती है। इसे मैं आपको एक सच्ची घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ-

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया गांव के रहने वाले 19 वर्षीय प्रदीप मेहरा ने तड़ागताल इंटर कॉलेज से अपनी कक्षा 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करी। इसी दौरान 14-15 वर्ष की उम्र में प्रदीप ने देश सेवा के साथ-साथ अपना जीवन बनाने के लिए सेना में सिपाही के रूप में भर्ती होने और सीमा पर सेवा देने को अपना लक्ष्य बनाया और उसकी तैयारियों में लग गया। लेकिन कहते हैं ना दोस्तों, ईश्वर सफल बनाने से पहले कई बार आपकी परीक्षा लेता है, ऐसा ही कुछ उसने प्रदीप के मामले में भी किया। 17 वर्ष की उम्र में प्रदीप सेना की परीक्षा में दौड़ ना पाने की वजह से असफल हो गए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक बार फिर नई ऊर्जा के साथ तैयारियों में लग गए। इसी दौरान उनके समक्ष एक और नई समस्या आई, एक दिन अचानक उनकी माँ की तबियत बिगड़ी और उन्हें इलाज के लिए नोएडा लाना पड़ा। यहाँ प्रदीप ने अपने बड़े भाई के साथ नोएडा के बरौला गांव में रहते हुए अपनी नई ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया। 

दोस्तों, नए शहर में अपनी मौजूदगी बनाए रखना और बदली हुई परिस्थितियों में लक्ष्य के प्रति फ़ोकस्ड रहना आसान नहीं होता, इसी दिक़्क़त का सामना प्रदीप ने भी किया। उसने बड़े शहर की परेशानियों या चुनौतियाँ से निपटने के लिए मैकडोनाल्ड में नौकरी करने का निर्णय लिया। बदले हुए हालात में सफलता के लिए प्रदीप को नई ज़िम्मेदारियों के साथ लक्ष्य के प्रति अपने फ़ोकस को बरकरार रखना था। उसने पहले प्रयास में मिली असफलता के कारण को याद रखा और रात्रि को अपनी नौकरी पूर्ण करने के बाद 10 किलोमीटर दौड़ते हुए घर जाने लगा। घर पहुँचकर वह अपने और अपने बड़े भाई, जो नाइट शिफ्ट में कार्य करते हैं, के लिए खाना बनाता था। खुश और फ़ोकस्ड रहते हुए इस दिनचर्या को निभाना 7-8माह से उसका रूटीन बन गया था।

दो दिन पूर्व, कार्य पूर्ण कर दौड़ते हुए घर लौटते वक्त, प्रदीप को मशहूर फिल्मकार और लेखक विनोद कापड़ी ने देख लिया और उसे लिफ़्ट देने का प्रस्ताव दिया, जिसे प्रदीप ने नकार दिया। विनोद कापडी ने मोबाइल से विडियो बनाते हुए प्रदीप से इस विषय में चर्चा करी और उस विडियो को इंटरनेट पर डाल दिया, जो वायरल हो गया और उपरोक्त कहानी हम सब के सामने आयी। इस वायरल विडियो पर कई बड़े अभिनेताओं, क्रिकेटर, व्यवसायी या व्यवसाय ने अपने कमेंट किए और उसे साझा किया। 

अचानक ही प्रदीप, लक्ष्य के प्रति फ़ोकस्ड होने की वजह से हीरो बन गए और उन्हें इंटरव्यू करने या मिलने वालों की भीड़ लग गई। अब उनकी कहानी टीवी, रेडियो, न्यूज़ पेपर, सोशल मीडिया सभी जगह थी। प्रदीप अचानक ही ज़ीरो से हीरो बन चुके थे। लोग और कम्पनियाँ अपने तरीक़े से उन तक सहायता पहुँचा रही थी या मदद की पेशकश कर रही थी। कई मीडिया समूहों को इंटरव्यू देने, लोगों से मिलने, फ़ोन पर हज़ारों जवाब देने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि ऐसे तो वे लक्ष्य से भटक सकते हैं। प्रदीप ने तुरंत अपनी भावनाओं को क़ाबू में करा और तात्कालिक मिली सफलता से दूरी बनाने और अपने फ़ोकस को लक्ष्य पर बनाए रखने का निर्णय लिया।

प्रदीप ने उनसे सम्पर्क करने वालों, मीडिया या अन्य सभी के साथ-साथ फिल्मकार और लेखक विनोद कापड़ी से अपील करते हुए कहा, ‘मैंने अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने के साथ-साथ चार कदम दौड़ ही तो लगाई है। अगर आप इस पर मुझे इतना ऊपर उठा देंगे तो मैं अपने लक्ष्य पर फ़ोकस नहीं रख पाऊँगा। कृपया मुझे अपना फ़ोकस, अपने लक्ष्य पर बनाए रखने दें।’ 

वाह, जीवन और लक्ष्य के प्रति क्या बढ़िया नज़रिया है इस उन्नीस वर्षीय युवा का। अक्सर दोस्तों लोग जीवन में बड़ा लक्ष्य तो बना लेते है, उसके लिए जी-जान लगाकर प्रयास भी करते हैं, लेकिन 90 प्रतिशत से अधिक लोग लक्ष्य पाने के पहले ही हार मानकर बैठ जाते हैं। इसकी सामान्यतः सबसे बड़ी वजह परिस्थितियों, परेशानियों या सफलता की राह में मिली छोटी-मोटी सफलताओं की वजह से भटकना होता है।
दोस्तों, अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो सही लक्ष्य के साथ, सही योजना को होना, उस योजना पर अपना फ़ोकस बनाए रखते हुए कार्य करना आवश्यक होता है। अगर इसके बाद भी आपको असफलता हाथ लगती है तो घबराना नहीं है बल्कि असफलता के कारणों से सीखते हुए अपनी योजना में बदलाव कर दुगनी ऊर्जा के साथ फ़ोकस्ड रहते हुए मेहनत करना है और नई ग़लतियों से बचना है, जिस तरह प्रदीप मेहरा कर रहे हैं। किसी ने सही ही कहा है, ‘मेहनत चुपचाप करते रहें, सफलता अपने आप शोर मचाएगी।’

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर   
dreamsachieverspune@gmail.com