मप्र में बनी यूपी में भाजपा को घेरने की रणनीति
भोपाल । उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भाजपा को घेरने की रणनीति मध्यप्रदेश में तैयार की गई। सपा, रालोद और आजाद समाज पार्टियों के मुखिया ने पहले इंदौर के महू में बाबा भीमराव आंबेडकर को उनकी जयंती पर शुक्रवार को उनकी जन्मस्थली में नमन किया। वहां रैली और सभा करने के बाद लखनऊ लौटे। उससे पहले यहां यूपी निकाय चुनाव में तीनों दल में मेयर सीटों को लेकर ब्लू प्रिंट भी फाइनल किया गया।
यूपी विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद ने गठबंधन में चुनाव लड़ा। मुस्लिम, जाट और पिछड़ों का समीकरण साधते हुए गठबंधन ने भाजपा को खासी चुनौती दी। किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी कांड से गुस्साए किसानों ने गठबंधन का स्वागत किया। वेस्ट यूपी में भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी थी। गठबंधन का अंजाम कि वेस्ट यूपी में भाजपा को अपनी प्रमुख सीटों से हाथ धोना पड़ा। इसी फार्मूले को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष अब निकाय चुनाव में मुस्लिम, पिछड़ों और दलितों का समीकरण साधकर भाजपा को चुनौती देना चाहता है। जिस आजाद समाज पार्टी से गठबंधन को अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में तवज्जो नहीं दिया, उससे अब हाथ मिलाकर भाजपा को निकाय चुनाव में टक्कर देने की तैयारी सपा कर रही है।
अखिलेश, जयंत और चंद्रशेखर तीनों ने महू में निकाय चुनाव को लेकर चर्चा की। दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव की पटकथा है। तीनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, निकाय चुनाव के बहाने 2024 में भाजपा को घेरने की स्क्रिप्ट तैयार कर रहे हैं। दलित, पिछड़ा, मुस्लिम का समीकरण सक्सेस हुआ तो 2024 में इसे फॉलो किया जा सकता है।
सपा के साथ गठबंधन में यूपी में निकाय चुनाव लड़ रहा रालोद अपने लिए मेरठ सीट मुख्य रूप से मांग रहा है। यहां सपा पहले ही सरधना विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को टिकट दे चुकी है। सपा का प्रत्याशी उतरने से रालोद नेताओं में बेहद नाराजगी है। विधानसभा चुनाव में टिकटों में भेदभाव पर रालोद कार्यकर्ताओं ने किसी तरह गुस्सा शांत कर लिया था।वो नाराजगी निकाय चुनाव में बाहर आने को तैयार है। इसका नुकसान रालोद को उठाना पड़ सकता है। बता दें मेरठ मेयर सीट पर रालोद से 10 बड़े नेता कतार में हैं।
विधानसभा चुनाव में गठबंधन को कमजोर करने के लिए भाजपा ने कई पैतरें चले। अमित शाह को जाटों को मनाने के लिए दिल्ली में विशेष जाट सम्मेलन करना पड़ा। जिसमें वेस्ट यूपी के प्रमुख जाट नेताओं को बुलाकर उनसे बातचीत की गई। टिकटों के बंटवारे में जाटों को प्राथमिकता दी गई। अंदरखाने जयंत चौधरी को भाजपा में आने का निमंत्रण दिया गया जिसे जयंत ने ठुकरा दिया था। नतीजा यह कि रालोद ने वेस्ट यूपी में 8 सीटें जीतकर अपना मजबूत वजूद साबित कर दिया।