फिर भी ज़िंदगी हसीन है… 


दोस्तों, तेज़ी से बदलती इस दुनिया में जहाँ भौतिक सुविधाओं और टेक्नॉलोजी के बीच सामान्य जीवन सिमट कर रह गया है। हर व्यक्ति अपने अनुसार अपने जीवन मूल्य लेकर स्वच्छंदता के साथ जीवन जीने का प्रयास कर रहा है। अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस जहां में बहुत सारी जागृत संस्कृतियाँ एक साथ चल रही हैं। इन्हीं बदलते मूल्यों के बीच लोकाचार, शिष्टाचार और संस्कार पीछे छूटते नज़र आ रहे हैं।

जी हाँ दोस्तों, मैं बिलकुल सही कह रहा हूँ, जिन जीवन मूल्यों को लेकर हम बड़े हुए हैं वे अब ओल्ड फ़ैशन होते जा रहे हैं और आज का युवा उन सही मूल्यों या जो उचित है के स्थान पर, जो ट्रेंडी है उसे चुन रहा है। उदाहरण के लिए फटे कपड़े अब फ़ैशन है, छोटे कपड़े आपके आत्मविश्वास को दर्शाते हैं या उसे आत्म स्वीकृति के रूप में देखा जाता है। पुराने जमाने के अनुसार जिसे धोखाधड़ी, जालसाज़ी या बेईमानी माना जाता था उसे आजकल ‘स्मार्टनेस’ या ‘स्ट्रीट स्मार्टनेस’ से जोड़कर देखा जाता है, असभ्य होने को साहसी या मुखर राय रखने वाला माना जाता है। 

यक़ीन कीजिएगा दोस्तों, इन सब के बीच हम ऐसे नए ख़तरे को न्योता दे रहे हैं जो इंसानियत या इंसानों का जीना दूभर कर देगा क्यूँकि संस्कृति को अगली पीढ़ी को देने वाले लोग अर्थात् माता-पिता, शिक्षक और समाज तीनों ही अपने सामने आने वाली बातों को बिना परखे या बिना उस पर गम्भीरता से सोचे उसे अद्भुत तकनीक या नवाचार मान गले लगा रहे हैं। लेकिन दोस्तों, अगर बच्चों के व्यवहार में यह बदलाव आपको ज़रा सा भी चुभ रहा हो तो बच्चों की परवरिश या शिक्षा में निम्न 10 पुराने ज़माने के तरीके सिखाना शुरू कर दीजिएगा। ताकि वे हमारी संस्कृति को ज़िंदा रख सकें-

1. पढ़ाएँ विनम्रता का पाठ 
अपने बच्चे को सिखाए कि विनम्र रहना कोई कला नहीं है, जिसका समय या स्थिति के अनुसार प्रदर्शन या प्रयोग करना सफल बनाता है। बल्कि यह तो जीवन को पूर्णता के साथ खुलकर जीने का एक तरीका है। असभ्य होकर आप बड़ी आसानी से अपना कार्य तो निकलवा सकते हैं लेकिन यह जीवन के नज़रिए से नुक़सानदायक है। असभ्य होकर कार्य निकालने के स्थान पर उन्हें बताए कि बड़ों को कैसे संबोधित करें, उनके सवालों का कैसे जवाब दें, उनके साथ सही बॉडी लैंग्वेज का प्रयोग करें, सम्मानजनक, दयालु बनें और सभी जीवों के साथ सहानुभूति रखें।

2. सिखाएँ जादुई शब्दों का प्रयोग  
शब्द 'धन्यवाद, कृपया, माफ़ी, क्षमा करें जैसे जादुई शब्दों का प्रयोग करना सिखाएँ। शुरू में यह बच्चों को थोड़ा अटपटा लग सकता है लेकिन यदि समय के साथ आपका बच्चा अगर यह सीखता है, तो वह किसी भी इंसान के दिल में अपना स्थान बना सकता है। वाक़ई दोस्तों, यह जादुई शब्द बहुत ही छोटे हैं लेकिन यक़ीन मानिएगा, हैं बहुत कारगर।

3. सिखाएँ नमस्कार करना
अभिवादन की संस्कृति आज अप्रचलित या लुप्त होती जा रही है। क्या आप जानते हैं कि अभिवादन केवल वृद्ध लोगों को सम्मान देने का एक तरीका नहीं है, यह सामाजिक रूप से बुद्धिमान बच्चे की परवरिश का पहला कदम है। उन्हें अभिवादन करने का सही समय, सही हावभाव, शरीर की भाषा आदि सिखाएं।
आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम अपनी संस्कृति को ज़िंदा रखने के लिए आवश्यक 10 सूत्रों में से अगले 4 सूत्र सीखेंगे।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com