अजमेर । राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दीपावली के मौके पर हर साल कार्मिकों को दी जाने वाली राशि को लेकर सवाल खड़े किए हैं। अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) ने लूट करार देकर शिक्षा मंत्री को शिकायत की है। बता दें कि इस साल बोर्ड कार्मिकों को यह राशि 35 हजार दी गई है।
अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने मंत्री व शिक्षा सचिव का ध्यान बोर्ड के परीक्षा शुल्क के नाम पर की जा रही लूट की ओर आकर्षित कर इस पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। वहीं इस संबंध में बात करने पर बोर्ड के सेक्रेटरी कैलाश चंद शर्मा ने कहा कि ये कोई बोनस नहीं, बल्कि एक्सग्रेसिया है, जो कर्मचारियों को प्रोत्साहन के लिए हर साल दीपावली पर मिलती है।
शिक्षा मंत्री को जानकारी दी गई है कि बोर्ड ने प्रत्येक परीक्षार्थी से बोर्ड परीक्षा शुल्क के रूप में 600 रुपए लिए हैं। दावा है कि इस शुल्क में से बोर्ड के पास 300 से 400 रुपए प्रति छात्र परीक्षा शुल्क बचता है। विवरण में बताया गया कि उत्तर पुस्तिका जांच के लिए अधिकतम 15 रुपए प्रति उत्तर पुस्तिका मानदेय मिलता है। यानी 6 उत्तर पुस्तिका के कुल 90 रुपए वीक्षक को मानदेय बोर्ड देता है।
प्रश्न पत्र मुद्रण प्रति छात्र के रूप में 5 रुपए होता है, 6 प्रश्न पत्र मुद्रण पर 30 रुपए प्रति छात्र। केंद्राधीक्षक 150, अतिरिक्त केंद्राधीक्षक 110 रुपए, एक परीक्षा केंद्र पर 100 से 400 या उससे अधिक छात्र परीक्षा में बैठते हैं, तब 6 दिन का खर्च लगभग 12 रुपए प्रति छात्र आता है। मंत्रालयिक कर्मचारी पर व्यय 2 रुपए प्रति छात्र आता है जो 6 दिन के 12 रुपए होते हैं। कुल व्यय 168 रुपए प्रति छात्र है।
यदि अधिकतम 200 रुपए प्रति छात्र पर व्यय और 600 में से 200 रुपए निकाल दिए जाएं तब भी बोर्ड के पास सीधे प्रति छात्र 400 रुपए बचते है। यह गरीब बच्चों से अधिक वसूल की जा रही है। प्रत्येक वर्ष में सेकेंडरी व हायर सेकेंडरी दोनों परीक्षा में करीब 20 लाख छात्र बैठते हैं। इसतरह हर साल बोर्ड करोड़ों रुपए की राशि बचा रहा है। छात्रों से परीक्षा शुल्क के रूप में वसूली गई फीस से बोर्ड ने समानता दर्शाते हुए सहायक कर्मचारी से लेकर शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी तक को 35 हजार रुपए प्रति कर्मचारी बोनस बांट दिया। इस पर रोक लगनी चाहिए।