सुरजेवाला के हाथ में कांग्रेस संगठन की कमान, नाथ-दिग्विजय संभालेंगे चुनावी मैदान
भोपाल । विधानसभा चुनाव होने तक अब संगठन के काम से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ दूर रहेंगे। संगठन की कमान अब प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला के हाथ में रहेगी। वहीं, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह चुनावी मैदान के अग्रिम मोर्चे पर रहेंगे। चुनाव प्रचार की कमान इन्हीं दोनों नेताओं के हाथों में होगी। प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही कमल नाथ की विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं शुरू होंगी। वहीं, वरिष्ठ नेताओं को भी अलग-अलग अंचलों की जिम्मेदारी देकर भेजा जाएगा। वरिष्ठ विधायकों को आसपास के विधानसभा क्षेत्रों में भी ध्यान देना होगा। संगठन ने प्रचार अभियान की कार्ययोजना तैयार की है। जन आक्रोश यात्रा के बाद राष्ट्रीय नेताओं के दौरे भी शुरू हो जाएंगे।
कार्य योजना पर काम शुरू
कांग्रेस ने चुनाव प्रचार अभियान की जो कार्ययोजना बनाई है, उस पर काम शुरू हो गया है। इसके तहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ को संगठन के कामों से मुक्त रखा जाएगा ताकि वे चुनाव प्रबंधन से लेकर प्रचार पर अधिक ध्यान दे सकें। उनके विधानसभा क्षेत्रवार दौरे निर्धारित किए जा रहे हैं, जो प्रत्याशियों की घोषणा के साथ तेज हो जाएंगे।
प्रत्याशी चयन को लेकर सितंबर के अंतिम और अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में बैठकें होंगी, जिसकी तैयारी कमल नाथ वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श करके कर रहे हैं। प्रयास यही किया जा रहा है कि वे कम से कम एक बार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अवश्य पहुंचें इसलिए एक दिन में दो से तीन कार्यक्रम प्रस्तावित किए गए हैं। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भी कार्यक्रम होंगे। वे डेढ़ माह में उन 66 विधानसभा सीटों का दौरा कर चुके हैं, जहां पार्टी लगातार हार रही है। इन क्षेत्रों में प्रत्याशी चयन के बाद दिग्विजय फिर दौरा करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि अब संगठन से जुड़े सभी काम प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला देखेंगे।
प्रत्याशी कोई भी हो कांग्रेस संगठन लड़े चुनाव
सूत्रों का कहना है कि सुरजेवाला का जोर इस बात पर है कि प्रत्याशी कोई भी हो, चुनाव कांग्रेस संगठन लड़े। इसके लिए संगठन को तैयार किया जा रहा है। नेता समन्वय बनाकर काम करें और जिम्मेदारियों का निर्धारण भी आपसी सहमति के आधार पर हो ताकि सभी की पूरी क्षमता का उपयोग भाजपा को हराने में किया जा सके। उन्होंने पदाधिकारियों को भी स्पष्ट कर दिया है कि कर्नाटक की तरह सत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संगठन की होगी।