वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जब टीम इंडिया को हार झेलनी पड़ी थी, तो कई तरह से सवाल खड़े हुए थे। टेस्ट टीम में बदलाव को लेकर भी मांग उठी थी। उम्मीद की जा रही थी कि वेस्टइंडीज दौरे पर भारतीय सेलेक्टर्स टीम के कमजोर पक्षों पर काम करेंगे और एक मजबूत टीम खड़ी करने की तरफ कदम बढ़ाएंगे। टीम की वनडे और टेस्ट टीम का एलान हुआ, तो कुछ नए चेहरों को जगह मिली, जिसमें सबसे बड़ा नाम रुतुराज गायकवाड़ और यशस्वी जायसवाल का रहा है। सेलेक्टर्स ने कुछ कठिन फैसले भी लिए भी पुजारा जैसे सीनियर प्लेयर को टीम से बाहर का रास्ता दिखाया। इन सबके बावजूद सेलेक्टर्स ने एकबार फिर वही गलतियां दोहराई, जो वह हर दौरे पर करते चले आ रहे हैं।

1. युवा खिलाड़ी को क्यों नहीं मिली उपकप्तानी

वेस्टइंडीज दौरे के लिए अजिंक्य रहाणे को फिर से रोहित शर्मा का डिप्टी बनाया गया है। रोहित की उम्र 36 साल हो चुकी है और रहाणे का भी क्रिकेटिंग करियर बहुत लंबा नहीं बचा है। ऐसे में तमाम दिग्गज खिलाड़ियों के अनुसार, भारत के भविष्य का टेस्ट कप्तान तैयार करने का यह सही समय था। कैरेबियाई दौरे पर किसी युवा खिलाड़ी को उपकप्तान की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए थी, ताकि वह खुद को बतौर लीडर तैयार कर सके।

2. टीम में चार ओपनर, लेकिन खोखला मिडिल ऑर्डर

वेस्टइंडीज दौरे के लिए चुनी गई टेस्ट टीम में चार ओपनर्स को शामिल किया गया है। रोहित शर्मा के साथ शुभमन गिल पारी का आगाज करते नजर आएंगे। इसके साथ ही टीम में यशस्वी जायसवाल और रुतुराज गायकवाड़ को भी रखा गया है। हालांकि, टीम इंडिया की सबसे बड़ी कमजोरी रहे मध्यक्रम में युवा खिलाड़ियों को मौका देना सेलेक्टर्स ने जरूर नहीं समझा। विराट कोहली और रहाणे के बाद मिडिल ऑर्डर में कोई बल्लेबाज उनकी जगह लेने के काबिल नजर नहीं आता है।

3. पेस अटैक में दम नहीं

वेस्टइंडीज दौरे के लिए चुनी गई टेस्ट टीम में कई पुराने तेज गेंदबाजों की वापसी हुई है। साल 2021 में अपना आखिरी टेस्ट खेलने वाले नवदीप सैनी को बुलाया गया है, तो जयदेव उनादकट को भी टीम में शामिल किया गया है। गौर करने वाली बात यह है कि मोहम्मद सिराज को छोड़कर इस फास्ट बॉलिंग अटैक में ऐसा कोई भी गेंदबाज मौजूद नहीं है, जिसकी इंटरनेशनल क्रिकेट में हालिया फॉर्म जोरदार रही हो। मुकेश कुमार अभी बेहद युवा हैं, तो उनादकट और सैनी ने काफी लंबे समय से इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेला है।