मार्गशीर्ष महीने की शुरुआत हो गई है। इस साल शादियां के लिए ये आखिरी हिंदी महीना है जो कि 26 दिसंबर तक रहेगा। इस साल का आखिरी विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर को रहेगा। इसके बाद धनु संक्रांति होने की वजह से खरमास शुरू हो जाएगा, जो मकर संक्रांति यानी अगले साल 14 जनवरी तक रहेगा।

अगहन महीने में शादी के लिए अब 3 मुहूर्त बचे हैं। जो कि 9, 11 और 15 दिसंबर को है। इसके बाद 16 जनवरी को यानी पौष महीने में विवाह होंगे।

मार्गशीर्ष महीने में विवाह की परंपरा क्यों
अगहन महीने में सनातन धर्म के दो बड़े विवाह हुए थे। इनमें भगवान शिव-पार्वती विवाह मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया और इसी महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था। मार्गशीर्ष महीने के स्वामी भगवान विष्णु है। इसलिए देव विवाह का महीना होने से इस महीने शादियों की परंपरा शुरू हुई।

मृगशिरा नक्षत्र से नाम पड़ा मार्गशीर्ष
मार्गशीर्ष मास हिंदू वर्ष का 9वां महीना है, प्रत्येक चंद्रमास का नाम उसके नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। मार्गशीर्ष माह में मृगशिरा नक्षत्र होता है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे अगहन मास के नाम से भी जाना जाता है।

इस माह में भगवान कृष्ण की उपासना करने का विशेष महत्व माना गया है। इस महीने में विवाह पंचमी, दत्तात्रेय जयंती व धनु संक्रांति समेत भगवत आराधना के लिए कई दिन रहेंगे। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप की वंदना होगी।

ये महीना भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय है। भगवान ने खुद कहा है कि मार्गशीर्ष मास मेरा ही रूप है। इस महीने में तीर्थ और नदी स्नान से पाप नाश होने के साथ मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में धनुर्धारी अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था। इस माह में गीता का दान भी शुभ माना जाता है। गीता के एक श्लोक में भगवान श्री कृष्ण मार्गशीर्ष मास की महिमा भी बताई गई है।