मेरठ के धनपुर गांव के लिए मंगलवार की रात बेहद मनहूस थी। इतनी कि आज तक कभी किसी परिवार पर ऐसा कहर नहीं टूटा। परिवार के छह लोगों की अर्थियां एक साथ उठीं तो हर किसी का कलेजा कांप उठा। महिलाएं बेहोश हो गईं। रुदन मच गया।छह अर्थियों को गांव के श्मशान घाट में ले जाया गया। वहां जगह तक कम पड़ गई। अलग से टीनशेड लगाना पड़ा।

एक साथ सामूहिक चिताएं बनाकर तीनों बच्चों, दोनों महिलाओं और नरेंद्र के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस खौफनाक मंजर को देखकर हर किसी का कलेजा कांप उठा। लोग बस यही कह रहे थे कि ऐसा दिन किसी को न दिखाए।दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार की कार सवारों से टक्कर हुई थी, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हो गयी। दो घायल अस्पताल में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं।

नरेंद्र अपने पिता जयपाल को रात में दर्शन कर लौटने की बात कहकर गए थे। पिता उम्र के उस पढ़ाव में हैं, जहां आंखों से कम दिखाई देता और सुनाई भी कम देता है। करीब तीन वर्ष पूर्व उनकी पत्नी सावित्री भी चल बसी थीं। सुबह बुजुर्ग को किसी ने भी हादसे की जानकारी नहीं दी। लेकिन जैसे-जैसे घर पर ग्रामीण व रिश्तेदार एकत्र होते गए तो उन्होंने इसका कारण पूछा। तब उन्हें सब बताया गया। इसके बाद वह भावशून्य हो एक टक दरवाजे की ओर देख रहे थे। शाम को जब शव घर पहुंचे तो बुजुर्ग जयपाल की हिड़की बंध गई।