भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) फंड मैनेजर्स के लिए परफॉरमेंस शुल्क लाने की तैयारी कर रही है। इसका मतलब हुआ कि अब किसी फंड के परफॉर्म न करने की जबावदेही फंड मैनेजर्स की होगी। इनकी परफॉरमेंस के आधार पर निवेशकों से शुल्क लिया जाएगा।

इस शुल्क पर राय लेने के लिए सेबी ने एक कंसलटेंशन पेपर किया है। सभी पक्षों की राय जानने के बाद शुल्क को लेकर फैसला लिया जाएगा।

फिलहाल, एसेट अंडर मैनेजमेंट(AUM) नियमों के तहत फंड हाउस से कुछ चार्ज लिया जाता है।

क्यों आ रहा ये नियम

कई एक्टिवली मैनेज्ड म्यूचुअल फंड अपने बेंचमार्क सूचकांकों की जानकारी देने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, इसलिए सेबी परफॉरमेंस से जुड़ी फीस के साथ म्यूचुअल फंड स्कीम्स की इस नई कैटेगरी की शुरुआत करने की तैयारी कर रहा है।

जानकारों का मानना है कि ये प्रस्ताव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) के चार्ज स्ट्रक्चर जैसा ही है। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेस (PMS) एक प्रोफेशनल फाइनेंशियल सर्विस है, इसमें कुशल पोर्टफोलियो मैनेजर्स और स्टॉक मार्केट प्रोफेशनल्स रिसर्च टीम की मदद से इक्विटी पोर्टफोलियो को मैनेज किया जाता है।

क्या होगा इस नियम का असर?

यह रेगुलेशन इन्वेस्टर्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। ये ज्यादा रिटर्न देने में कारगर साबित हो सकता है। पिछले कुछ समय से सेबी निवेशकों को फायदा पहुंचाने के लिए इन्वेस्टमेंट के नियमों में बदलाव कर रही है। नया प्रस्ताव मौजूदा हालात के अनुसार सही लग रहा है। कुछ म्यूचुअल फंड स्कीम्स की परफॉरमेंस लंबे समय से खराब है। वहीं कुछ स्कीम ने पीएमएस स्कीम्स की तुलना में काफी अच्छा रिटर्न दिया है।