मुंबई । महाराष्ट्र में जिस तरह की सत्ता की राजनीति, चाहत, स्वार्थ की राजनीति चल रही है। अगर मैं सत्ता बरकरार रखना चाहता तब जो गद्दार थे, वे गद्दारी करने से दो-तीन दिन पहले मेरे साथ थे। इन्हें किसी होटल या दूसरे पार्क में रोका जा सकता था, लेकिन कब तक? मैं इसतरह के लोगों को नहीं चाहता जो बिके हुए हैं। बल्कि मैं उन लोगों को चाहता हूं जो मेरे आसपास मुट्ठी भर हैं, लेकिन जो वफादार हैं। यह बातें शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सामना को द‍िए इंटरव्यू में कही। 
उद्धव ठाकरे ने कहा क‍ि उन्होंने सोचा था कि शिव सेना को तोड़ने के बाद शिव सेना खत्म हो जाएगी। लेकिन शिव सेना तब और भी मुखर है। एक तरह से यह इच्छाधारी सोच है। कई लोगों ने कई जगहों पर सालों तक जाम लगा रखा था। बहुत से लोगों को वह अवसर नहीं मिला जो वे चाहते थे। लेकिन अब वहां नए चेहरों को मौका मिल रहा है।
ठाकरे ने कहा क‍ि शिवसेना मजबूत थी, लेकिन अब ढाई साल में मैं जो कर पाया हूं, उसके कारण महाराष्ट्र के लोग मुझे अपने परिवार का सदस्य मानने लगे हैं। ये मेरी कमाई है। बड़ी आमदनी होती है। उस रिश्ते की वजह से जो लोग पहले कभी शिव सेना के साथ नहीं थे, इसतरह के लोग भी शिव सेना से जुड़ गए।
ठाकरे ने कहा क‍ि असंख्य लोग मेरे सामने हैं। बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। दस-पंद्रह दिन पहले मैं पोहरादेवी के दर्शन के लिए दिगराज गया था। वहां एक छोटी सी बैठक हुई थी। मैंने सोचा था कि बार‍िश के मौसम में बंद हॉल में कार्यकर्ताओं से बात करूंगा, लेकिन कार्यकर्ताओं से वह बातचीत भी हॉल मीटिंग के बाहर हुई। क्‍योंकि वहां भारी उमड़ पड़ी। दिलचस्प बात यह है कि यह भीड़ सभी धर्मों की थी। इस दौरान ठाकरे ने कहा कि शिंदे गुट पर तंज कर कहा कि पिछले साल बारिश में बांध में छुपे केकड़ों ने इस तोड़ दिया था और उनकी सरकार गिरा दी थी। ठाकरे ने कहा, “मेरी सरकार पिछले साल भारी बारिश में नहीं बही थी… केकड़ों ने बांध तोड़ दिया था। वे वहां कीचड़ में छिपे हुए थे। हम कुछ नहीं कर सके क्योंकि केकड़ा तब केकड़ा होता है, उन्हें सीधा करने की आप कितनी भी कोशिश करें, वे किनारे की तरफ ही चलते रहते हैं।
उन्होंने बताया कि केकड़ों की एक निश्चित मानसिकता होती है। केकड़ों से भरी टोकरी को ढकने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जब एक ऊपर जाएगा, तब दूसरा उस नीचे खींच लेगा। उनका इशारा मूल शिव सेना में विद्रोह और शिंदे द्वारा ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिराने की तरफ था। ठाकरे ने कहा कि जब राज्य 19 जुलाई को इरशालवाड़ी, रायगढ़ में भारी पहाड़ी भूस्खलन त्रासदी से जूझ रहा था, जिसमें 27 लोग मारे गए थे़, उस समय दिल्ली दरबार से पहले मुजरा करने जाने के लिए भी शिंदे की आलोचना की।