सदन में जमकर बरसे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया , कहा विपक्ष को अपने अविश्वास में खुद नहीं है विश्वास , नार्थ ईस्ट की समस्या का मुख्य कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण  , याद दिलाया क्या थे 2014 से पहले के हालात

आज अविश्वास प्रस्ताव के आख़िरी दिन आज केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने भाषण में विपक्ष के इंडिया पर जमकर बरसे । उन्होंने अपने भाषण में मणिपुर से लेकर पूरे नॉर्थ ईस्ट को लेकर घेरा व 2014 से पूर्व अब 9 साल में आए बदलाव को लेकर कई बातें कही , उसके प्रमुख अंश निमलिखित है ।

1.जिस प्रजातंत्र के मंदिर में देश की संस्कृति, सदभाव, विचारधारा निर्मित की जाती है, जिस देश के प्रजातंत्र के मंदिर से देश की 140 करोड़ की जनता अपनी प्रेरणा लेती है, उस मंदिर से स्पष्ट हो गया है कि इन लोगों को न देश की चिंता है न पीएम के पद की चिंता है न ही राष्ट्रपति के पद की चिंता है. इनको तो केवल अपनी हैसियत की चिंता है. 

- मुझे 20 साल हो गए है, लेकिन ऐसा सीन दो दशक में नहीं देखा है कि देश के प्रधानमंत्री के प्रति जो शब्दो का प्रयोग विपक्ष द्वारा किया गया है, सदन के सामने नहीं बल्कि देश की जनता के सामने ये माफी मांगे.

- देश के प्रधानमंत्री ने सदन के बाहर मणिपुर पर संवेदनशीलता के साथ बयान दिया, लेकिन इनका हठ है कि वे सदन में जवाब दें. गृहमंत्री ने सदन में स्पष्ट बोला कि मणिपुर में बात करने को तैयार है लेकिन विपक्ष ने 17 दिन तक सदन को चलने नहीं दिया.1993 में जब मणिपुर की जातीय हिंसा में 750 लोगों की जान गई थी तब तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव जी ने मौनवृत क्यों धारण किया था.2011 में जब मणिपुर में 123 दिन ब्लॉकेट चला, जातीय हिंसा चली तब उस समय में भी तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने सदन में मौत व्रत क्यों धारण किया था. ये इनकी दोगली राजनीति नहीं है तो क्या है ये. 

- इनकी जो अवसरवादी सोच है, उसका पूरा पर्दाफाश मैं जनता के सामने करूंगा. ये समूह जो है इंडिया इसमें एक प्रोफेसर हैं जो नैतिकता, मूल्यों की बात करते हैं लेकिन प्रतिनिधित्व वे ऐसे दल की करते हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान स्थापित करें.इसमें एक ऐसी नेत्री है जो सोचती है कि कश्मीर को भारत के साथ जोड़ना एक भूल है. 

- इन्हें तो अपने अश्विवास प्रस्ताव पर स्वयं ही विश्वास नहीं है. जो देश की जनता ने परिणाम दिया है, वो स्वीकार कर मणिपुर की घटना का इस्तेमाल या दुरुपयोग करके अपना लांच पैड बनाने की कोशिश कर रहे हैं. 

- ये घटना निंदनीय है कोई भी भारतीय इसका सपोर्ट नहीं कर सकता लेकिन भारत के इतिहास के काले पन्ने पलटे तो 1964 के बंगाल के दंगों में ये मौन क्यों थे.सन 1984 के दंगों में 4 हजार सिक्ख भाईयों को जलाया था तब ये मौन क्यों थे.1990 से 30 साल कश्मीर में 40 हजार लोगों की मौत हुई तब ये मौन क्यों थे.
- 1960 के दशक में मणिपुर में अलगाववादियों ने हिंसा की तब कौन था जो उनके साथ बैठकर चर्चा करने को तैयार थे जिन्होंने उनके साथ समझौता किया और 1993 में 123 दिन मणिपुर जल रहा था तब आपकी सरकार यहां भी थी और मणिपुर में भी थी और आज मणिपुर के सांसद के नहीं बोलने की चिंता है इनको, उस समय मणिपुर के जो सांसद थे वे सदन में रोते हुए उस समय के कांग्रेस सरकार से बोले थे कि राज्य सरकार हेल्पलेस है, इसके पास कोई फंड नहीं है हथियार खरीदने को पैसे नहीं है. प्लीज मणिपुर इस देश का हिस्सा है, इसको फील कीजिए. 

- सिंधिया जी ने शेर पढ़ते हुए कहा कि औरो के ख्यालात की लेते हे तलाशी और अपने गिरेबां में झांका नहीं जाता.

- ये वही नोर्थ ईस्ट है जिसका नाम लेते ही आतंक, अस्थिरता और अशांति का चित्र सामने आता था। दशकों तक ये एक नकारात्मक सोच लेकर बैठे रहे कि अगर बॉर्डर areas में विकास होगा तो लोगों में जागरूकता उत्पन्न होगी - तो best policy ये है कि इन्हें विकास से वंचित रखा जाए! आज स्थिति ये है कि वहां कई संगठनों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है, शांति की राह पकड़ी है। 

- उसके बाद प्रधानमंत्री जी ने NER को भारत का ग्रोथ इंजन बनाने के लिए मंत्र दिया - HIRA (Highways, Internet, Railways and Airways).  2014 से पहले North East का जो रेल बजट केवल 2500 करोड़ रूपए था, आज 4 गुना ज़्यादा 10,000 करोड़ रूपए है - मेघालय को पूरे 100 साल बाद एक रेलवे स्टेशन मिला है। नागालैंड में 100 वर्षों के बाद “Shokhuvi” के रूप में अपना दूसरा रेलवे स्टेशन मिला है। इनके समय में सड़कों का निर्माण प्रतिदिन मात्र 0.6 किमी होता था, यही 2014-19 के बीच 1.5 किमी प्रति दिन हो गया है। हाईवे-ब्रिज का जाल बिछाया गया है – भारत में पानी पर सबसे लंबा पुल (called the Dhola Sadiya bridge) अगर कहीं है तो वो Brahmaputra नदी पर स्थित असम में है, भारत को विश्व के पूर्वी हिस्से से जोड़ने के लिए पहली बार भारत-म्यांमार-थाईलैंड के बीच super highway बनाया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश (Tezu, Hollongi, Pasighat) और सिक्किम जैसे राज्यों में 21 वि सदी में भी एक हवाईअड्डे का नामोनिशान नहीं था, पूरे नार्थ ईस्ट क्षेत्र के लिए केवल 9 हवाईअड्डे होते थे, आज 17 हैं - “seven sisters” को “seven neglected sisters” बनाकर रख दिया था – और आज वही उत्तर पूर्व में प्रधानमंत्री जी ने पूर्वोदय का मंत्र देकर विकास का नया उदय लाने का काम किया है।