नई दिल्ली । संकट में घिरी वोडाफोन-आईडिया ने राहत ने लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। कंपनी ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव पिटिशन फाइल की है। इस याचिका में कंपनी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 के अपने फैसले में जो कंपनी पर जो पेनाल्टी लगाई थी, वहां और उसके ब्याज का अमाउंट इतना ज्यादा है कि कंपनी अगर उसे चुकाने का प्रयास करती है, तब कंपनी के वजूद के लिए ही खतरा हो सकता है।
इस याचिका में कोर्ट से गुहार लगाते हुए कंपनी ने कहा गया है कि पहले से आर्थिक मुश्किल में गुजर रही कंपनी के लिए इतना बड़ा अमाउंड देना मुमकिन नहीं है। साथ ही कंपनी ने ये भी दलील दी कि मौजूदा आर्थिक संकट के चलते कंपनी को खुद को बचाना ही मुश्किल हो रहा है। कंपनी ने कहा कि जो अमाउंट उसे देना है, वे दो कंपोनेंट प्रिंसिपल अमाउंट के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। कंपनी ने गुहार लगाते हुए कोर्ट से ये भी कहा कि वे लाइसेंस फीस लगाए जाने को चुनौती नहीं कर रही है। वीआई ने यह याचिका इसलिए दायर की है, क्योंकि फैसले में गंभीर न्यायिक गलतियां हैं। याचिका में कंपनी ने कोर्ट से दो आधारों पर फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है।
कंपनी ने जिस आधार पर कोर्ट से पुनर्विचार की अपील है उसमें ये फैक्ट्स शामिल हैं, कोर्ट के फैसले के अनुसार, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (डॉट) की तरफ से भेजी गई डिमांड फाइनल होगी, भले ही उसमें बकाया अमाउंट के कैलकुलेशन में किसी तरह की क्लेरिकल या अर्थमेटिकल एरर हो। इसका मतलब है कि डिमांड अमाउंट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता है। यानी कि इसका मतलब यह भी है कि इस तरह की गलतियां होने के बावजूद कंपनी अमाउंट चुकाने को बाध्य होगी।