अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि देश में किसी भी वक्फ बोर्ड के पास किसी व्यक्ति या समुदाय को किसी धर्म से बाहर करने का अधिकार नहीं है. उनकी ये टिप्पणी आंध्रप्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम बताने वाले प्रस्ताव पारित करने पर विवाद के बीच आई है.

प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मंगलवार को अहमदिया समुदाय पर आंध्रप्रदेश वक्फ बोर्ड के रुख का समर्थन करते हुए दावा किया कि यह सभी मुसलमानों की सर्वसम्मत स्थिति है.

इस मामले में ईरानी ने कहा कि मैं केवल यह कहना चाहती हूं कि सभी वक्फ बोर्ड संसद के अधिनियम के तहत आते हैं. कोई भी वक्फ बोर्ड संसद की गरिमा के विपरीत काम नहीं कर सकता है और उसके द्वारा बनाए गए कानूनों का उल्लंघन नहीं कर सकता है. किसी भी वक्फ बोर्ड को इसकी अनुमति नहीं है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संसद के अधिनियम के तहत किसी भी वक्फ बोर्ड के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसी व्यक्ति या समुदाय को किसी धर्म से बाहर कर दे. हमने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है. हमने उनसे अनुरोध किया है कि वह तथ्यों को हमारे सामने रखें, क्योंकि अहमदिया मुस्लिम समुदाय ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से अपील की थी. उन्होंने कहा कि वह राज्य के मुख्य सचिव की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही हैं.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के रुख का समर्थन करने के बारे में पूछे जाने पर ईरानी ने कहा कि किसी को भी संसद के अधिनियम का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है.

आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा अहमदिया समुदाय को "काफिर" और गैर-मुस्लिम कहने का प्रस्ताव पारित करने के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा. इसमें बोर्ड के प्रस्ताव को "घृणा अभियान" कहा गया था. साथ ही ये भी कहा गया कि पूरे देश में इसका असर हो सकता है.

आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव के एस जवाहर रेड्डी को अहमदिया मुस्लिम समुदाय की ओर से 20 जुलाई को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि कुछ वक्फ बोर्ड अहमदिया समुदाय का विरोध कर रहे हैं और समुदाय को इस्लाम के दायरे से बाहर करने के लिए अवैध प्रस्ताव पारित कर रहे हैं.

पत्र में कथित तौर पर कहा गया है कि यह बड़े पैमाने पर अहमदिया समुदाय के खिलाफ घृणा से भरा हुआ अभियान है, और वक्फ बोर्ड के पास अहमदिया सहित किसी भी समुदाय की धार्मिक पहचान निर्धारित करने का अधिकार नहीं है.