केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने मंगलवार को कहा कि देश में सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है। हालांकि, वे भी राष्ट्रपति, राज्यपाल या कुलपति का पद पाने के लिए सार्वजनिक जीवन में सहिष्णुता का मुखौटा ओढ़ लेते हैं। ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवियों का असली चेहरा अपना कार्यकाल पूरा करने या सेवानिवृत्ति होने के बाद सामने आता है। बघेल ने सोमवार को पत्रकारों को पुरस्कार देने के लिए आरएसएस के मीडिया विंग इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित देव ऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।

केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा, सहिष्णु मुसलमानों को उंगलियों पर गिना जा सकता है। मुझे लगता है कि उनकी संख्या हजारों में भी नहीं है। ये मुसलमान भी सार्वजनिक जीवन में सहिष्णु होने का नकाब पहनकर रहते हैं, ताकि उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या कुलपति का पद हासिल हो सके, लेकिन जब वे सेवानिवृत्त होते हैं, तो वे वास्तविक बयान देते हैं। जब वे कुर्सी छोड़ते हैं, तो वे ऐसा बयान देते हैं जो उनकी वास्तविकता को दर्शाता है।केंद्रीय मंत्री की यह टिप्पणी सूचना आयुक्त उदय माहुरकर द्वारा कार्यक्रम में दिए गए उनके भाषण के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को इस्लामी कट्टरवाद से लड़ना चाहिए, लेकिन सहिष्णु मुसलमानों को साथ लेना चाहिए।