सीमित आपूर्ति और त्योहारी सीजन से पहले मांग बढ़ने से घरेलू बाजार में गेहूं की कीमत छह माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। सरकार ने हाल में संकेत दिया था कि गेहूं की बढ़ती कीमत थामने के लिए आयात शुल्क खत्म किया जा सकता है। गेहूं की कीमत बढ़ने से खाद्य महंगाई बढ़ने की आशंका है। देश में सालाना 10.8 करोड़ टन गेहूं की खपत होती है।

दिल्ली के एक कारोबारी ने कहा कि गेहूं पैदा करने वाले सभी राज्यों में आपूर्ति करीब-करीब रुक गई है। आटा मिलों को भी बाजार से आपूर्ति मिलने में दिक्कत हो रही है। इंदौर में गेहूं के दाम मंगलवार को 1.5 फीसदी चढ़कर 25,446 रुपये प्रति टन पहुंच गए, जो 10 फरवरी के बाद सर्वाधिक है। चार माह में गेहूं के दाम 18 फीसदी बढ़े हैं। मुंबई के एक डीलर ने कहा कि त्योहारी मौसम में आपूर्ति बनाए रखने के लिए सरकार को गोदामों से खुले बाजार में भंडार भेजना चाहिए।

उधर, खाद्य मंत्रालय के सचिव संजीव चोपड़ा ने पिछले हफ्ते कहा था कि सरकार गेहूं पर 40 फीसदी के आयात शुल्क को घटाने पर विचार कर रही है। साथ ही, मिलर्स व कारोबारियों के लिए भंडारण सीमा भी घटाई जा सकती है। 

निर्यात प्रतिबंध से घट सकती है धान बुआई

गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से धान की बुआई पांच फीसदी घट सकती है। इस फैसले से कृषि आय घटेगी और उत्पादकों को अन्य फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। एक प्रमुख किसान समूह ने कहा, निर्यात रोकने से कीमतें कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। भारतीय किसान संघ के महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा, निर्यात पाबंदी की घोषणा मौजूदा बुआई सीजन के ठीक बीच में हुई। इससे किसानों में गलत संकेत गया है।