जींद । चुनाव के संचालन पर लगी रोक को हटाने का अदालत का फैसला ऐसे समय में आया है जब सभी राजनीतिक दल पहले से ही तैयारियों को अंजाम दे रहे हैं। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को पंचायती राज संस्थानों के चुनाव कराने की अनुमति दे दी। कांग्रेस ने हाल ही में अपनी राज्य इकाई में बड़ा बदलाव किया था। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से बहुप्रतीक्षित पंचायत चुनाव कराने के लिए राज्य को हरी झंडी मिलने के साथ ही हरियाणा में राजनीतिक पारा बढ़ने लगा है। नई राज्य कांग्रेस इकाई के पास अब ड्राइवर की सीट पर हुड्डा हैं और पार्टी को उम्मीद है कि उनके तहत पार्टी को खोई हुई जमीन फिर से हासिल करने में मदद मिलेगी। बता दें कि कांग्रेस ने हुड्डा के बेहद करीबी उदयभान को हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। वहीं आम आदमी पार्टी भी पंजाब की शानदार जीत के बाद राज्य में पैर जमाने के लिए उत्सुक है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि गठबंधन सहयोगी भाजपा और जजपा मिलकर पंचायत चुनाव लड़ेंगे या नहीं। राज्य सरकार जिसमें जजपा भी शामिल है, पहले से ही ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार हाल ही में ग्रामीण मतदाताओं को खुश करने के लिए सरकारी स्कूलों के 5 लाख से अधिक छात्रों को मुफ्त टैबलेट से लेकर ग्राम नंबरदार को मुफ्त मोबाइल फोन दे रही है। अब लगभग खत्म होने की कगार पर खड़ी, इनेलो भी अपने भाग्य को आजमाने के उद्देश्य से राज्य की लंबाई-चौड़ाई नाप रही है और खूब लोगों के बीच जाकर संपर्क साध रही है।  अगले लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद अक्टूबर, 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव एक प्रमुख स्थानीय राजनीतिक मुकाबला होगा। चुनावी मुकाबला भाजपा और जजपा के लिए एक अग्निपरीक्षा होगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि राज्य में ग्रामीण मतदाताओं को एक साल से अधिक समय तक चले बड़े पैमाने पर किसानों के विरोध की समाप्ति के बाद पहली बार चुनावी रूप से खुद को अभिव्यक्त करने का मौका मिलेगा। बीजेपी और जजपा दोनों अपने 'पब्लिक कनेक्ट' प्रोग्राम चला रहे हैं, उससे लगता है कि वे अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस भी राज्य इकाई में अंदरूनी कलह के बावजूद एकजुट मोर्चा बनाने की कोशिश कर रही है।