जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास पर जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और छितराई बसावट के बावजूद राज्य सरकार जल जीवन मिशन के कार्यों को पूरा करने में कोई कमी नहीं रख रही है। पेयजल की समस्या का समाधान करने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से निरंतर कार्य हो रहे हैं। उन्होंने मिशन को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इससे संबंधित पेयजल परियोजनाओं का कार्य युद्ध स्तर पूरा करने के निर्देश दिए। 
उन्होंने कहा कि कार्यों में गुणवत्ता रखते हुए स्थायी जल स्त्रोतों का विकास सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में पेयजल उपलब्ध कराने में किसी तरह की समस्या नहीं आए। हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण योजना है। हमें मिलकर राजस्थान को जल जीवन मिशन में अग्रणी राज्य बनाना है। संबंधित विभाग और अधिकारी मिशन के अंर्तगत संचालित विभिन्न कार्य को गति देकर निर्धारित समयावधि में पूर्ण करें, ताकि गांव-ढ़ाणी तक नल से जल मिल सके। गहलोत ने कहा कि प्रदेश के पूर्वी भाग में पानी की विकट समस्या हैं। यहां जल जीवन मिशन के मापदंडों के अनुसार 55 लीटर पेयजल प्रति व्यक्ति प्रति दिन उपलब्ध कराने के लिए पूर्वी राजस्थान की जीवनदायिनी योजना ईआरसीपी बेहद अहम है। उन्होंने 13 जिलों में नल कनेक्शन देने के लिए केंद्र से ईआरसीपी को जल्द राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित कराने का आग्रह किया, ताकि जल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में देश का 10 प्रतिशत भू-भाग है, जबकि देश का केवल 1 प्रतिशत पानी ही उपलब्ध है। रेगिस्तानी एवं मरूस्थलीय क्षेत्र होने के साथ ही सतही एवं भू-जल की भी कमी है। गांव-ढाणियों के बीच दूरी अधिक होने और विषम भौगोलिक परिस्थितियों से घर-घर पेयजल उपलब्ध करवाने में लागत अन्य राज्यों से कई गुना ज्यादा आती है। कुछ परिस्थितियों में तो प्रति कनेक्शन लागत 1 लाख रूपये से भी अधिक है। इसे देखते हुए प्रदेश को भी जल जीवन मिशन में 90:10 के तहत सहायता उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि रूस तथा यूक्रेन के युद्ध के कारण कई वस्तुओं के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इससे क्रियान्वयन में भी कठिनाइयां आई है। इस कारण केंद्र सरकार मिशन की समय-सीमा को बढ़ाए, जिससे मिशन का लाभ हर परिवार को मिल सके।