जयपुर । बीटी कपास फसल में गुलाबी सुण्ड़ी के प्रकोप के प्रबंधन के लिए सोमवार को कृषि आयुक्तालय में कृषि एवं उद्यानिकी शासन सचिव डॉ. पृथ्वी की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ. पृथ्वी ने बताया कि बीटी कपास में खरीफ-2023 के दौरान गुलाबी सुण्डी का प्रकोप श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिलें में होने का प्रमुख कारण गत वर्ष की छट्टियों (बन सठियों) के अवशेष खेत में पड़े रहने के कारण उनमें उपस्थित गुलाबी सुण्डी कीट के प्यूपा से प्रथम संक्रमण शुरू हुआ, जिससे फसल संक्रमित हुई।उन्होंने बताया कि बीटी कपास की बुवाई अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह से लेकर 10 जून तक लंबी अवधि में किये जाने के कारण गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र के लिए अनुकूल फसल उपलब्ध रहने से टिण्डों में प्रकोप हुआ है।

उन्होंने बताया कि मई, जून व जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा व कम तापमान के कारण कीट को अनुकूल वातावरण मिलने से कीट का प्रकोप अत्यधिक हुआ। सितम्बर माह में हुई वर्षा के बाद टिण्डा गलन भी नुकसान का भी यही मुख्य कारण रहा। विचार विमर्श के दौरान एडीजी सीड्स व अन्य वैज्ञानिकों द्वारा कीट प्रकोप से बचाव के लिए निम्न उपाय बताये गये विभागीय सिफारिश अनुसार ही उपयुक्त समय पर फसल की बुवाई करें। कीट की मॉनिटरिंग करने हेतु फैरोमेन ट्रेप लगाये। कम उंचाई वाली व कम अवधि में पकने वाली किस्मों को प्राथमिकता दी जाए। केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, सिरसा, हरियाणा द्वारा जारी किये गये समय-सारणी अनुसार फसल 45-60 दिन की होने पर नीम आधारित कीटनाशक का छिड़काव करें।