भोपाल ।  मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, भाजपा और कांग्रेस के मोर्चा-प्रकोष्ठों में भी सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) और कांग्रेस की युवा इकाई युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता भी टिकट की आस लगाए हैं। इन सबके बीच अगर दोनों संगठनों के कार्यकर्ताओं खासकर अध्यक्षों के विधानसभा में पहुंचने की तुलना करें तो युवक कांग्रेस अच्छी स्थिति में है। वतर्मान युवक कांग्रेस अध्यक्ष डा. विक्रांत भूरिया को छोड़ दें तो इसके पहले क्रमश: कुणाल चौधरी, प्रियव्रत सिंह, जीतू पटवारी विधायक बने हैं। मीनाक्षी नटराजन लोकसभा सदस्य रही हैं।

भाजपा युवा मोर्चा पीछे

उधर, युवा मोर्चा की बात करें तो वर्तमान अध्यक्ष वैभव पंवार के पहले अभिलाष पांडे, अमरदीप मौर्य, धीरज पटेरिया में कोई विधानसभा तक नहीं पहुंचा। युवा मोर्चा का अध्यक्ष रहते हुए जीतू जिराती कांग्रेस के जीतू पटवारी से हार गए थे। हालांकि, अध्यक्ष बनने के पहले 2008 के विधानसभा चुनाव में वह जीते थे। भाजपा से टिकट नहीं मिलने धीरज पटेरिया निर्दलीय चुनाव लड़े, पर जीत नहीं पाए। बाद में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।अमरदीप मौर्य और अभिलाष पाण्डे काे पार्टी ने चुनाव ही नहीं लड़ाया। पिछले पांच अध्यक्षों में अकेले विश्वास सारंग ही विधायक चुने गए और मंत्री भी बने। पटेरिया निर्दलीय चुनाव लड़े, पर हार गए थे।

भाजपा के खाटी नेता युवा मोर्चा से

हालांकि, इसके पहले युवा मोर्चा की अच्छी स्थित रही। शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल और लक्ष्मण सिंह गौड़ युवा मोर्चा से राजनीति में आए और महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां इस विधानसभा चुनाव में युवाओं को अधिक से अधिक मौका देने की बात कह रही हैं। भाजयुमो और युवक कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता चुनाव की तैयारी भी कर रहे हैं। उधर, भाजपा से निष्कासन समाप्त होने के बाद धीरज पटेरिया भी जबलपुर से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।

कांग्रेस का अच्छा रिकार्ड

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पार्टी के अन्य बडे पदाधिकारी पहले ही साफ कर चुके हैं कि टिकट देने में किसी तरह का कोटा नहीं चलेगा। पार्टी सिर्फ जिताऊ उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारेगी। युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को टिकट देने में 'बूथ जोड़ो-यूथ जोड़ो' अभियान में उनकी भागीदारी को भी आधार बनाया जाएगा। इसके पहले भी कांग्रेस में टिकट देने का आधार उम्मीदवार की जिताऊ स्थिति रही है। यहां तक कि भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के प्रदेश अध्यक्ष रहे विपिन वानखेड़े को भी कांग्रेस ने पिछले विधानसभा उप चुनाव में मैदान में उतारा और वह जीते।

भाजपा में जीत के आधार पर टिकट

उधर, भाजपा का प्रदेश और राष्ट्रीय संगठन भी यही कह रहा है कि सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट दिया जाएगा जो जीतने की स्थिति में हैं। इसके लिए सर्वे को भी आधार बनाया जाएगा। इन सबके बीच सच्चाई यह है कि भाजपा में दावेदारों की सूची लंबी है। पिछले चुनाव के बाद कई दिग्गज कांग्रेसी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में पार्टी युवा चेहरे उतारने के साथ ही इस बात पर भी ध्यान रखेगी कि दूसरे दावेदार नाराज नहीं होने पाएं। हालांकि, भाजयुमो और युवक कांग्रेस के पदाधिकारी अपनी-अपनी पार्टी में युवाओं के लिए टिकट की अलग से मांग भी नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी जो भी निर्णय लेगी वह मान्य होगा।