फूड डिलीवरी टेक कंपनी जोमैटो (Zomato) ने देश के 225 छोटे शहरों में अपनी सर्विस बंद कर दी है। कंपनी ने अपने घाटे को कम करने के लिए ऐसा किया है। ये वो शहर है जिसने दिसंबर तिमाही में कंपनी के ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू में केवल 0.3% क्रॉन्ट्रीब्यूट किया। दिसंबर में खत्म तिमाही में कंपनी को 346.6 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। शुक्रवार को कंपनी ने अपनी तीसरी तिमाही (Q3FY23) नतीजे जारी किए हैं।

225 शहरों में सर्विस बंद करने पर कंपनी ने कहा, 'पिछली कुछ तिमाहियों में इन शहरों का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा।' हालांकि, कंपनी ने प्रभावित शहरों का नाम नहीं बताया हैं। वहीं कंपनी ने अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में भी बात की। जोमैटो ने बताया कि उसने ऑर्डर फ्रीक्वेंसी बढ़ाने के लिए गोल्ड सब्सक्रिप्शन लॉन्च किया है। दावा है कि 9 लाख लोगों ने उसके इस प्रोग्राम को जॉइन किया है।

देश के 1,000 से ज्यादा शहरों में बिजनेस
जोमैटो भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले फूड डिलीवरी ऐप में से एक है। पिछले साल 2021-22 में कंपनी का फूड ऑर्डरिंग और डिलीवरी का बिजनेस देश के 1,000 से ज्यादा शहरों में चल रहा था। वहीं रिजल्टी की बात करें तो कंपना का घाटा वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में 5 गुना बढ़कर 343 करोड़ रुपए रहा है। हालांकि, रेवेन्यू सालाना आधार पर 1112 करोड़ रुपए से 75% बढ़कर 1,948 करोड़ रुपए हो गया।

कैसे हुई Zomato की शुरुआत?
इस कंपनी की शुरुआत 2008 में हरियाणा के गुरुग्राम से हुई थी। तब इसका नाम जोमैटो नहीं बल्कि Foodiebay था, जो ebay से प्रेरित था। इसकी स्थापना दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा ने की थी। 2008 में जोमैटो फूड डिलीवरी नहीं, बल्कि रेस्टोरेंट डिस्कवरी सर्विस थी, यानी इसका काम शहर के अलग-अलग रेस्टोरेंट के बारे में जानकारी देना था।

ये सर्विस काफी सफल रही और 2 साल से भी कम समय में Foodiebay से 20 लाख कस्टमर्स और 8,000 रेस्टोरेंट्स जुड़ गए। 2010 के आखिर में कंपनी के फाउंडर ने इसे Zomato  नाम से री-लॉन्च किया। इसके साथ ही कंपनी ने फूड डिलीवरी सर्विस भी शुरू कर दी।