चुनाव से पहले भाजपा-कांग्रेस ने किए बड़े वादे
भोपाल । चुनावी साल वाले मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस दोनों ही मुफ्त की योजनाओं के सहारे वोटरों को साधने में जुट गए हैं। भाजपा की सरकार जहां लाडली बहना योजना के जरिए आधी आबादी के वोटों पर नजरें गड़ाए हुए है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी नारी सम्मान योजना और मुफ्त बिजली का पिटारा खोलकर चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश शुरू कर दी है।
राजनीतिक दलों को चुनावों में जीत के लिए सरकारी योजनाओं से कहीं ज्यादा मुफ्त की योजनाओं पर ज्यादा भरोसा है। शायद यही वजह है कि चुनावी साल वाले मध्यप्रदेश में दोनों प्रमुख दल यानी कांग्रेस और भाजपा वोटरों को मुफ्त की योजनाओं के जरिए लुभाने में लग गए हैं।
भाजपा की आधी आबादी के वोट पर नजर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने जन्मदिन के मौके पर महत्वाकांक्षी लाडली बहना योजना को लॉन्च किया था, जिसके तहत महिलाओं के बैंक खाते में हर महीने 1000 रुपये की राशि डाली जाएगी। इसी महीने की 10 तारीख से मध्य प्रदेश की महिलाओं के बैंक खाते में 1000 रुपये आने शुरू हो जाएंगे और हर महीने की 10 तारीख को रकम उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। 1 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल की गलियों में निकले और उन्होंने घर-घर जाकर कई हितग्राही महिलाओं को बकायदा लाडली बहना योजना के स्वीकृति पत्र भी सौंपे।
कांग्रेस ने भी लगाई चुनावी वादों की झड़ी
चुनावी साल में महिलाओं को साधने की योजना आई तो जाहिर है सियासत होनी ही थी और हुई भी। कांग्रेस ने योजना में मिलने वाली राशि कम होने का आरोप लगाते हुए घोषणा की है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी, तो महिलाओं को हर महीने एक हज़ार नहीं, बल्कि 1500 रुपये दिए जाएंगे। कांग्रेस ने भी मुफ्त के वादों का पिटारा जनता के सामने खोल कर रख दिया है। कांग्रेस ने दावा किया है कि अगर मध्य प्रदेश में उनकी सरकार बनीं तो वह नारी सम्मान योजना की शुरुआत करेंगे। नारी सम्मान योजना में हर पात्र महिला को 1500 रुपये प्रतिमाह के साथ 500 रुपये में गैस सिलेंडर भी दिया जाएगा। यही नहीं, कमलनाथ ने ऐलान किया है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो 100 यूनिट तक बिजली का बिल माफ कर दिया जाएगा। जबकि 200 यूनिट तक बिजली का बिल आधा कर दिया जाएगा।
किस पर भरोसा करेगी जनता
राजनीतिक दल भले ही मुफ्त की घोषणाओं से जनता को लुभाने में लगे हों, लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति को समझने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक सरकारी योजनाओं का खोखलापन ही राजनीतिक दलों को मुफ्त की योजनाओं की ओर ले जाता है, लेकिन यह भी शत-प्रतिशत जीत की गारंटी नहीं है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में किसान कर्ज माफी का ऐलान किया था, जिसका उसे जबरदस्त फायदा हुआ था और 15 साल बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हो सकी थी। अब देखना ये है कि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के किस मुफ्त चुनावी वादे पर जनता अपनी मुहर लगाती है।