उज्जैन. आचार्य चाणक्य ने ही अखंड भारत की नींव रखी और खंड-खंड में बंटे भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोया। आचार्य चाणक्य ने अनेक ग्रंथों की भी रचना की। उनमें से नीति शास्त्र नाम का ग्रंथ भी है।

उस ग्रंथ में लाइफ मैनेजमेंट के कई अहस सूत्र बताए गए हैं। ये सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने एक सूत्र में बताया है कि दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी, सुख और पुण्य कौन-सा है। आप भी जानिए इसके बार में.

लालच है सबसे बड़ी बीमारी
आचार्य चाणक्य के अनुसार लालच मनुष्य की सबसे बड़ी बीमारी है, जिसे भी ये लग जाती है, अंत समय तक बनी रहती है। उस व्यक्ति को कभी इससे छुटकारा नहीं मिल पाता। जिसे भी ये बीमारी होती है, उसे अच्छे-बुरे का भान भी नहीं रहता और वह दूसरों का फायदा उठाने के बारे में ही सोचता रहता है। ऐसे लोगों से संबंधि बनाए रखना हमारे लिए दुख का कारण बन सकता है।

संतोष है सबसे बड़ा सुख
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति संतोषी है यानी जितना है उतने में ही खुश है, उससे ज्यादा सुखी इंसान इस दुनिया में और कोई नहीं है। इसलिए कहा जाता है कि संतोषी सदा सुखी। ऐसे लोग विकट परिस्थितियों में भी खुश रहने की कला भलीभांति जानते हैं। ऐसे लोगों को दूसरों का सुख देखकर ईर्ष्या भी नहीं होती और वे हर परिस्थिति में सुखी रहते हैं।

दया है सबसे बड़ा पुण्य
आचार्य चाणक्य मानते हैं कि जिस व्यक्ति के मन में दया यानी दूसरों की मदद करने का भाव है, वो पुण्य कमाने का मौका कभी नहीं छोड़ता। ऐसे लोग स्वयं हित से पहले दूसरों के हित के बारे में सोचते हैं। वे इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि उनकी वजह से किसी को कोई तकलीफ न हो और हमेशा लोगों की मदद करने के बारे में ही सोचते रहते हैं। इसलिए दया ही सबसे बड़ा पुण्य कहा गया है।