मप्र को जोन में बांट नेताओं को दी जिम्मेदारी
चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस का एक्शन प्लान तैयार
भोपाल । मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले दोनों ही राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग रणनीति बनाकर जीतने की तैयारी में जुट गई हैं। यही वजह है कि भाजपा में कभी गुजरात फार्मूले की बात होती है, तो वहीं कांग्रेस कर्नाटक फार्मूले पर बात करती है। साथ ही एमपी में 15 साल बाद जिस फार्मूले से कांग्रेस को साल 2018 में जीत मिली थी, इस बार उसे दोहराने की तैयारियां की जा रही हैं। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश को अलग-अलग जोन में डिवाइड किया था और हर जोन की जिम्मेदारी उसी इलाके के एक बड़े नेता को दी थी। जिससे कि वह चुनाव से पहले वहां प्रभावी तरीके से जमीन पर काम कर सके। उसका परिणाम सब ने देखा कि विंध्य को छोड़कर बाकी मध्यप्रदेश में भाजपा को पछाडऩे में कांग्रेस कामयाब रही थी। चूंकि इस साल के आखिर में फिर विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में भी कांग्रेस एक बार फिर उसी रणनीति पर अमल करने की राह पर आगे निकल पड़ी है। अभी से ही उन इलाकों के स्थानीय नेताओं को जिम्मेदारी दे दी गई है। इतना ही नहीं खुद पीसीसी चीफ कमलनाथ भी बूथ और मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर जीत की रणनीति बना चुके हैं।
किसको किस इलाके की जिम्मेदारी
कांग्रेस ने प्रदेश भर की 60 से अधिक हारी हुई सीटों की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को दी है। वह लगातार इन इलाकों का दौरा कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर रहे हैं। वहीं यादव बाहुल्य बुंदेलखंड के लिए अरुण यादव को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ग्वालियर चंबल संभाग की सीटों को नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह और पूर्व मंत्री लाखन सिंह सहित अन्य स्थानीय नेता संभाल रहे हैं। महाकौशल में पार्टी के राज्यसभा सांसद विवेक तंखा, पूर्व मंत्री तरुण भनोट जैसे दिग्गज नेताओं ने कमान संभाल रखी है। इसके अलावा मालवा में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह और जीतू पटवारी सहित अन्य नेता जमीन पर काम करने में जुटे हुए हैं। आदिवासी बाहुल्य इलाके की कमान कांतिलाल भूरिया, उमंग सिंघार, हीरालाल अलावा जैसे आदिवासी नेताओं को दी गई है।
कांग्रेस की रणनीति पर सियासत
2023 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की रणनीति पर कांग्रेस प्रवक्ता स्वदेश शर्मा का कहना है कि पीसीसी चीफ कमलनाथ की रणनीति को भाजपा के नेता भी मानते हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने बड़ी व्यापक रणनीति तैयार की है इस वजह से कर्नाटक की तरह मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस को बड़ी जीत मिलेगी। वहीं कांग्रेस की रणनीति पर तंज कसते हुए भाजपा प्रवक्ता नेहा बग्गा का कहना है कि दरअसल यह कांग्रेस की चुनाव जीतने की रणनीति नहीं है बल्कि उन नेताओं को निपटाने के लिए सुपारी दी गई है। इस तरह की जिम्मेदारी से कहीं ना कहीं कांग्रेस की गुटबाजी नजर आ रही है। इस तरह की रणनीति का कोई फायदा कांग्रेस को नहीं मिलेगा।