अमेरिका के 16वें सबसे बड़े सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) संकट मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बैंक के सीईओ ग्रेग बेकर ने भारी घाटे के एलान से दो हफ्ते पहले 36 लाख डॉलर के शेयर बेचे थे। विशेषज्ञ इसे गंभीर मामला बता रहे हैं। भारत सहित पूरी दुनिया में बैंक के निवेश पर निर्भर कंपनियां खतरा महसूस कर रहीं हैं। पिछले वर्ष भारत के बाजार के हालात पर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यहां 2021 में 3,600 करोड़ डॉलर का रिकॉर्ड निवेश स्टार्टअप में हुआ, 2020 से करीब दोगुना। खुद एसवीबी भारतीय स्टार्टअप के निवेशकों में शामिल था।

कोई बैंक ग्राहकों का पैसा जमा कर उन्हें ब्याज देता है। खुद उनका पैसा मार्केट में लोन के जरिये बांट कर ब्याज कमाता है। जमाकर्ताओं को चुकाए जाने वाले ब्याज के मुकाबले लोन से अर्जित ब्याज ज्यादा होने पर बैंक सफलता से चलते हैं। एसवीबी के पास साल 2017 में ग्राहकों के 4,400 करोड़ डॉलर जमा थे। 2021 तक यह सवा चार गुना बढ़कर 18,900 करोड़ हो गए, लेकिन लोन 2,300 करोड़ डॉलर से बढ़कर 6,600 करोड़ डॉलर तक पहुंचे यानी 2.85 गुना ही बढ़े।बॉन्ड से कमाई कम, ब्याज दरें बढ़ीं: अपने ग्राहकों का पैसा एसवीबी ने बड़ी मात्रा में बॉन्ड खरीदने और 2,500 स्टार्टअप में लगाया।

दूसरी ओर महंगाई से लड़ने के लिए अमेरिका लगातार ब्याज दरें बढ़ाता रहा। इससे बॉन्ड से मिलने वाला ब्याज आज के मुकाबले में कम साबित होने लगा।इस बैंक में पैसा रखने वालों में बड़ी संख्या टेक कंपनियों व स्टार्टअप की है। पिछले दो वर्षों में टेक कंपनियां अपने शेयरों में लगातार भारी गिरावट देख रही थीं। उन्हें कैश की जरूरत पड़ने लगी थी। वहीं, निवेशकों से पैसा आना कम हुआ तो नुकसान में चल रहे स्टार्टअप भी कैश की कमी से जूझने लगे। दोनों ने बैंक से अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया। जब वे हजारों करोड़ डॉलर निकालने लगे तो संकट उतनी ही तेजी से बढ़ता गया।

ग्राहकों को पैसा व ब्याज चुकाने के लिए बैंक ने कम मुनाफे पर बॉन्ड व परिसंपत्तियां बेचने लगा। एसवीबी वित्तीय समूह ने बैंक के पोर्टफोलियो से 2,100 करोड़ डॉलर की परिसंपत्तियां बेच डालीं। यह किसी बैंक के गिरने की सबसे निचली स्थिति कही जाती है। इससे बैंक का नुकसान कई गुना बढ़ा।2.5 लाख डॉलर ही वापस मिलेंगे: अमेरिका में कानून है कि कोई बैंक डूबा तो उसके किसी ग्राहक का चाहे जितना पैसा वहां जमा हो, उसे अधिकतम 2.50 लाख डॉलर ही वापस मिलेंगे। इसी नियम से डरे ग्राहकों ने भी बैंक की खस्ताहाली देख अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया था।

साल 2008 के वित्तीय संकट के बाद इसे सबसे बड़ा संकट कहा जा रहा है। बैंक ने पूंजी जुटाने की कोशिश की, लेकिन कोई निवेशक नहीं मिला। दूसरी ओर सोमवार से ग्राहक 2.5 लाख डॉलर ही निकाल पाएंगे, इससे ऊपर नहीं। बैंक और ग्राहकों के लिए सोमवार को बड़ा तूफान आ सकता है। नुकसान कई क्षेत्रों में नजर आ सकता है। विशेषज्ञों ने फिलहाल साल 2008 जैसे आर्थिक संकट का अंदेशा नहीं जताया है। अनुमान हैं कि बड़ी कंपनियां और अन्य बैंकों पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा, लेकिन केवल स्टार्टअप, टेक कंपनियों और इनसे जुड़े निवेशकों पर व्यापक असर की बात कही जा रही है।14 लाख कंपनियों व संस्थाओं के डाटाबेस प्लेटफॉर्म ट्रैक्शन के अनुसार, भारत के 21 स्टार्टअप में एसवीबी का निवेश है। ये स्टार्टअप आने वाले समय में कैश की कमी से गुजर सकते हैं, जो उनकी वृद्धि को प्रभावित करेगा। उन्हें दूसरे बैंकों का रुख करना पड़ सकता है, लेकिन एसवीबी की वजह से नया निवेश हासिल कर पाना कुछ के लिए मुश्किल हो सकता है।