भारत की सभ्यता काफी समृद्ध है और यहां के बाशिंदे उत्सवधर्मी. फसल बुआई कटाई से लेकर जन्म और छोटी से छोटी घटना को सेलिब्रेट करने की यहां की समृद्ध रवायत रही है.इसी के कारण भारतीय संस्कृति अनोखी है. वैसे तो साल भर यहां कोई न कोई व्रत पूजा, त्योहार चलती रहते हैं. लेकिन पंचांग के अनुसार कुआर और कार्तिक का महीना खास हो जाता है. भारतीयों का फेस्टिव सीजन शुरू हो जाता है. इसकी वजह है कि हिंदू धर्मावलंबियों के बड़े पर्व नवरात्रि में दुर्गा पूजा, दशहरा दिवाली आदि इन्हीं महीनों में पड़ते हैं. इसमें भी कार्तिक का महीना और विशेष है क्योंकि इस महीने में एक साथ ही कई त्योहार पड़ते हैं.

जान लें फेस्टिव सीजन में अभी कौन-कौन से त्योहार पड़ेंगे
त्योहार तारीख
धनतेरस 22 अक्टूबर
नरक चतुर्दशी 23 अक्टूबर
दिवाली 24 अक्टूबर
गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर
भाई दूज 27 अक्टूबर

क्यों मनाते हैं धनतेरस
हिंदू धर्मावलंबी हर कार्तिक माह की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाते हैं. इस दिन भगवान धन्वंतरि (जिन्हें कुछ विद्वान भगवान विष्णु का अवतार ही मानते हैं), माता लक्ष्मी और देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की पूजा की जाती है. इस तिथि को हिंदू धर्मावलंभी भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन के रूप में सेलिब्रेट करते हैं. अक्सर यह तिथि छोटी दिवाली से एक दिन पहले पड़ती है. धन तेरस पर इनकी पूजा के साथ घर में कोई नया सामान लाना शुभ माना जाता है. इसलिए इस दिन बाजार में तेजी रहती है. इस दिन खास तौर पर सोने चांदी के गहने और बर्तनों की खरीद होती है. लेकिन बाइक या अन्य सामानों की खरीदारी भी खूब होती है. यह भी कहा जाता है इस दिन घर लाई गई चल अचल संपत्ति में 13 गुना वृद्धि होती है.

धनतेरस 2022 और पूजा का शुभ मुहूर्तः पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी इस साल 22 अक्तूबर को पड़ रही है. लखनऊ के ज्योतिषाचार्य उमा शंकर मिश्र के अनुसार त्रयोदशी तिथि 22 अक्तूबर शाम छह बजकर 02 मिनट से शुरू हो रही है. जो 23 अक्तूबर शाम छह बजकर 03 मिनट पर संपन्न होगी.

धनतेरस 2022 पूजा मुहूर्त
धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त 22 अक्टूबर रविवार को शाम पांच बजकर 44 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक है.

धनतेरस 2022 खरीदारी का शुभ समय
शाम 07 बजकर 03 मिनट से रात 10 बजकर 39 मिनट तक.

धनतेरस पूजा विधिः जो शख्स पहली बार पूजा कर रहा है, उसे यह विधि अपनानी चाहिए. धनतेरस के दिन शाम को शुभ मुहूर्त में एक लकड़ी की चौकी पर उत्तर की ओर कुबेर और भगवान धन्वंतरि को बैठाएं मां लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा या तस्वीर जो भी उपलब्ध हो, उसको भी वहीं आसन दें. फिर दीप जलाकर पूजा शुरू करें सभी का तिलक करने के बाद पुष्प, फल आदि अर्पित करें कुबेर को सफेद मिष्ठान्न और भगवान धन्वंतरि को पीले मिष्ठान्न अर्पित करें पूजा के दौरान बारी बारी से ऊं ह्रीं कुबेराय नमः मंत्र का जाप करते रहें भगवान धन्वंतरि की पूजा कर धन्वंतरि स्त्रोत का पाठ करें सभी देवी देवताओं की आरती करें और पूजा के दौरान हुई त्रुटि के लिए क्षमा मांगें

धनतेरस का महत्व
मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि ही कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए थे. इसी से इस दिन को भगवान धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाते हैं और उनकी पूजा करते हैं. इसी दिन माता लक्ष्मी और कुबेर की भी पूजा की जाती है. इसके पीछे मान्यता है कि इन देवताओं की कृपा से घर में धन की कमी नहीं रहती है. इस दिन बर्तन, आभूषण और अन्य चीजें खरीदने की परंपरा है.

धनतेरस के दिन सोना खरीदने के पीछे कारण
त्रयोदशी में भारत में सोने की खरीद की पुरानी परंपरा है. क्योंकि इसे समृद्धि और सौभाग्य से जोड़कर देखा जाता है. मान्यता है कि इसमें माता लक्ष्मी का वास होता है. इसीलिए इस दिन माता लक्ष्मी के रूप में इसकी पूजा होती है.

धनतेरस पर स्वर्ण खरीदने का इतिहास
धनतेरस पर सोना खरीदने की परंपरा की शुरुआत से जुड़ी एक कहानी है. इसके अनुसार प्राचीन काल में हिमा नाम का एक राजा था, उसने अपने 16 साल के पुत्र का विवाह कर दिया. इस बीच ज्योतिषियों ने बताया कि उसके पुत्र की विवाह के चौथे दिन सर्प दंश से मौत हो जाएगी, यह बात राजा ने बहू को भी बताई. इस भविष्यवाणी से दोनों चिंतित हुए लेकिन बहू बुद्धिमती थी, चौथे दिन उसने महल का सारा स्वर्ण मुख्य द्वार पर रखवा दिया और पति को सोने नहीं दिया और खुद भी जागकर गाने लगी.

इसी वक्त निर्धारित समय पर यमराज आए और सर्प का वेश धारण कर मुख्य द्वार पर पहुंचे तो सोने की चमक से उनकी आंखें चौंधिया गईं, उन्हें महल के भीतर प्रवेश का रास्ता भी नहीं मिला. इस बीच दुल्हन के गीत सुनने में वे सबकुछ भुला बैठे और इस बीच राजकुमार की मृत्यु का समय बीत गया. इससे उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा, तभी से लोग सौभाग्य के लिए इस दिन स्वर्ण की खरीदारी करने लगे.